hindisamay head


अ+ अ-

कविता

मिस लुईस

यूनिस डी सूज़ा

अनुवाद - ममता जोशी


रोजाना एक ही ख्वाब देखती थी
वह हाथीदाँत का पंखा फहराते हुए
घुमावदार जीने से उतर रही है
कुछ बच्चे नाविक की पोशाक में हैं
बाकी ऑर्गेंजा के परिधान में नजर आ रहे हैं
उसका वह सपना अंतड़ियों में ही सड़ गया
किसी को कानोंकान खबर भी न हुई
अंतड़ियों के बारे में जानकारी
उस समय प्रतिबंधित थी
अपने सफेद शफ़्फ़ाफ़, घुँघराले बालों को लहराते हुए वह बोली
"पता है, मेरी प्यारी, मैं अब चर्च नहीं जा सकती!
पादरी मेरी मौजूदगी में विवेक खो देते हैं
अभी कल ही बाँके सजीले फादर हैंस कह रहे थे,
'मिस लुइस, मेरे दिल पर तीर घुसता हुआ महसूस हो रहा है।'
पर है कौन जो विश्वास करेगा मेरी बातों का
अगर मैं कहूँ ऐसा हमेशा से ही होता आया है?
वह कहेंगे
'हाँ लुईस, हमें पता है
तरुणाई में प्रोफेसर और यौवनकाल में न्यायाधीशों की
तुम चहेती हुआ करती थी।"


End Text   End Text    End Text